हज़ारों और लाखों के शव न बिखरे पड़े होते ज़मीन पे।। हज़ारों और लाखों के शव न बिखरे पड़े होते ज़मीन पे।।
मगर ये सच हे, हाथ बढ़ाने की बजाए, हथियार उठाने में सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र होगा। मगर ये सच हे, हाथ बढ़ाने की बजाए, हथियार उठाने में सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र ह...
शांत के प्रेम पुजारियों कुछ तो शर्म करो. शांत के प्रेम पुजारियों कुछ तो शर्म करो.
सब्र का विस्तार जो था तारों के पार , सिकुड़ कर आंगन में आ गया! सब्र का विस्तार जो था तारों के पार , सिकुड़ कर आंगन में आ गया!
होती है ये धरोहर अनमोल और खूबसूरत जो रिश्तों की नई लिखती है इबारत। होती है ये धरोहर अनमोल और खूबसूरत जो रिश्तों की नई लिखती है इबारत।
मेरे बचपन से गुजरता है मेरे बचपन से गुजरता है